Trump का Tariff: Global Economy में मंदी ?

Trump's Tariff War

दुनियाभर के वित्तीय बाज़ारों में अचानक मची उथल-पुथल ने निवेशकों की सांसें रोक दी हैं।अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड Trump की नई tariff (शुल्क) नीति ने जहां एक ओर वैश्विक व्यापार को झटका दिया है, वहीं दूसरी ओर आर्थिक विशेषज्ञ यह सवाल उठाने लगे हैं – क्या हम एक और वैश्विक मंदी की ओर बढ़ रहे हैं? अब सवाल है कि आर्थिक मंदी की क्या परिभाषा है? विश्लेषकों का मानना है कि जब किसी अर्थव्यवस्था में लगातार दो तिमाहियों तक ख़र्च या निर्यात सिकुड़ जाता है तो माना जाता है कि मंदी आ गई है। 

Share Market में मची हलचल

सोमवार को जैसे ही Trump ने नए tariff की घोषणा की, दुनियाभर के Share Market में गिरावट देखी गई।  दुनिया भर के शेयर मार्केटों में 3 से 13 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है। लंदन, न्यूयॉर्क, टोक्यो और मुंबई सभी प्रमुख बाज़ार लाल निशान में बंद हुए। Asia Market में लगभग 8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी। इस गिरावट के सबसे बड़े शिकार रहे Banking Sector के दिग्गज खिलाड़ी जैसे HSBC और स्टैंडर्ड चार्टर्ड, जिनके शेयरों में करीब 10% की गिरावट दर्ज की गई। विश्लेषकों के अनुसार, ये बैंक पूर्व और पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापारिक पुल का काम करते हैं। इनकी हालत वैश्विक आर्थिक स्थिति की दिशा का संकेत देती है और फिलहाल ये संकेत चिंताजनक हैं।

मूल्यवृद्धि और मुनाफ़े में गिरावट का डर

बाजार की चिंता की जड़ में है बढ़ती लागत। tariff लागू होते ही आयातित सामान महंगे हो जाते हैं, जिससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है।इससे कंपनियों को या तो अपने मुनाफे में कटौती करनी पड़ती है या उपभोक्ताओं पर यह बोझ डालना पड़ता है लेकिन ये दोनों ही विकल्प अर्थव्यवस्था को सुस्त करते हैं।

Commodity Market में भी दबाव

शेयर बाज़ार ही नहीं, Commodity Exchanges पर भी Trump की नीति की मार पड़ी है। Global Market में तांबे और कच्चे तेल की कीमतों में 15% से अधिक की गिरावट आई है। तांबा और तेल आमतौर पर आर्थिक गतिविधियों का थर्मामीटर माने जाते हैं। इनकी गिरती कीमतें वैश्विक सुस्ती की ओर इशारा कर रही हैं।

इतिहास से सबक

हालांकि वैश्विक मंदी कोई आम बात नहीं है, लेकिन जब आती है तो उसकी गूंज दशकभर तक सुनाई देती है। 1930 की ग्रेट डिप्रेशन, 2008 की ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस और 2020 की कोविड जनित मंदी, ये सभी घटनाएं बताती हैं कि जब वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ़्तार थमती है, तो उसका असर हर कोने में महसूस होता है।

क्या होगा आगे?

Trump की tariff नीति का मक़सद घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना है, लेकिन इसके वैश्विक नतीजे अनपेक्षित हो सकते हैं। अब भारत, यूरोप और चीन जैसे देशों को अब अपनी रणनीति नए सिरे से तय करनी होगी। विशेषज्ञों का यह मानना है कि अगर प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं जल्द ठोस क़दम नहीं उठातीं, तो यह झटका मंदी की शक्ल ले सकता है।

अभी तक की स्थिति साफ़ तौर पर ‘सावधान’ होने का संकेत दे रही है ‘संकट’ का नहीं। परंतु बाज़ार की भाषा में, सावधानी का अर्थ है कार्रवाई।अब आने वाले हफ्ते तय करेंगे कि Trump की यह नीति सिर्फ़ एक झटका थी या किसी बड़े तूफ़ान की आहट।

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