जब भी कोई राज्य Reservations की 50 फीसदी की सीमा लांघने की कोशिश करता है तो सुप्रीम कोर्ट उसे रोक देती है। बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा सहित कई राज्यों में ऐसा हो चुका है। लेकिन एक ऐसा भी राज्य हैं जहां की राज्य सरकार 69 प्रतिशत Reservation देती है। जी हाँ, सिर्फ Tamil Nadu ही इकलौता ऐसा राज्य है, जहां 69 फीसदी Reservation दिया जा रहा है। ऐसा पिछले 35 वर्षों से हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी केस में साल 1992 में एक ऐतिहासिक फैसला दिया था, जिसमें उसने Reservation की लिमिट 50 फीसदी तय कर दी थी। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि बावजूद इसके कैसे Tamil Nadu में 69 फीसदी जातीय Reservation दिया जा रहा है।
5 दशक पुरानी है कहानी
इस मामले को समझने के लिए आज से 50 साल पीछे जाना होगा। Tamil Nadu में 1971 तक 41 फीसदी रिजर्वेशन दिया जाता था। जब मुख्यमंत्री अन्नादुरई का निधन हुआ तो कमान करुणानिधि के हाथों में आ गई। उन्होंने सत्तानाथ आयोग का गठन किया, जिसकी सिफारिश पर ओबीसी Reservation की सीमा 25 फीसदी से बढ़ाकर 31 कर दिया गया। इतना ही नहीं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का कोटा बढ़ाकर 16 से 18 परसेंट कर दिया गया। इस प्रकार जातीय Reservation का गणित 49 परसेंट तक पहुंच गया।
1980 में जब AIADMK सरकार को सत्ता मिली तो उसने ओबीसी का कोटा 50 परसेंट कर दिया। जबकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का कोटा 18 परसेंट पहले से था। तो यह 68 फीसदी तक पहुंच गया। 1989 में करुणानिधि सरकार सत्ता में लौटी और उसने इस कोटे में अति पिछड़ा वर्ग के लिए 20 परसेंट अलग से कर दिय। मद्रास हाई कोर्ट ने 1990 में एक फैसला दिया और SC को 18 परसेंट Reservation के अलावा 1 परसेंट कोटा अलग से एसटी के लिए कर दिया गया, इस प्रकार राज्य में Reservation 69 परसेंट तक पहुंच गया।
जब सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी केस में अधिकतम Reservation की सीमा से जुड़े फैसला दिया उसके बाद 1993-94 में एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स में एडमिशन से जुड़े मामले में जयललिता सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उस दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि इस साल तो पुराने रिजर्वेशन सिस्टम से एडमिशन दिया जा सकता है लेकिन अगले साल से 50 फीसदी की सीमा माननी होगी। इसे लेकर जयललिता सरकार सुप्रीम कोर्ट गई और एसएलपी (Special Leave Petition) दाखिल की, लेकिन उसे झटका लगा और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मांगे नहीं मानी।
जयललिता सरकार की पहल

इसके बाद 1993 में जयललिता सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया, जिसमें 69 % Reservation से संबन्धित प्रस्ताव पास किया गया। इसके तहत Tamil Nadu Backward Classes, SCs and STs (Reservation of Seats in Educational Institutions and of Appointments or Posts in the Services under the State) Act, 1993 लाया गया। इस प्रस्ताव को लेकर वह उस वक्त की नरसिम्हा राव सरकार के पास गईं और तब केंद्र सरकार ने तमिनलाडु के इस Reservation कानून को संविधान की नौंवी सूची के तहत डाल दिया गया। नियमानुसार जो विषय संविधान की नौंवी सूची में हैं, उसकी अदालत समीक्षा नहीं कर सकती। हालांकि I.R. Coelho Case, 2007 के बाद अब इसका दायरा थोड़ा सीमित हो गया है। I.R. Coelho Case, 2007 के अनुसार संविधान की 9वीं अनुसूची भी न्यायिक समीक्षा के दायरे में आती है, अगर वो कानून मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) का उल्लंघन करते हैं। लेकिन इसके बाद भी अभी तक Tamil Nadu में आज भी 69% Reservation की व्यवस्था बनी हुई है। आज भी समय समय पर अन्य राज्य सरकारें भी इस तरह की यही मांग उठाती रहती हैं। .
हालांकि दूसरे किसी राज्य में ऐसा होने मुश्किल है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कहता है कि 50% से ऊपर Reservation सिर्फ असाधारण परिस्थिति (extraordinary circumstances) में ही हो सकता है। तो आइये समझते हैं की Tamil Nadu में ऐसा क्या असाधारण है। दरअसल तमिलनाडू में SC/ ST (21.11%) तथा OBC/MBC/Denotified (68%) हैं। जो कुल मिलाकर लगभग 89% बन जाते हैं। इससे एक असाधारण स्थिति उत्पन्न होती है। इस असाधारण स्थिति के कारण ही तमिलनाडू में 69 % Reservation का प्रावधान है।
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