पराली जलाने पर मामूली जुर्माना—कठोर दंड की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के मामलों में मामूली जुर्माना लगाने पर भी सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार से सवाल किया कि उल्लंघन करने वालों पर कड़ी सजा क्यों नहीं दी जा रही है। इस पर अदालत ने दोनों राज्यों को एक हफ्ते के भीतर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही, केंद्र सरकार से भी यह बताने के लिए कहा गया है कि आयोग में विशेषज्ञों की नियुक्ति क्यों लंबित है, ताकि इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
कोर्ट की सख्त चेतावनी—आदेशों के पालन में कमी
सुप्रीम कोर्ट ने CAQM की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग ने अब तक आदेशों को सख्ती से लागू करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। जून 2021 के आदेशों पर सुरक्षा और कार्यान्वयन के लिए बनाई गई उपसमिति ने भी चर्चा तक नहीं की। कोर्ट ने यह भी बताया कि सितंबर के अंतिम 15 दिनों में पंजाब में पराली जलाने के 129 और हरियाणा में 81 मामले दर्ज किए गए, जिससे यह साफ हो गया है कि समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है।
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ीं
कोर्ट ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के कुछ जिलों में 2022 की तुलना में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं। इसके बावजूद, राज्य सरकारें केवल मामूली जुर्माना लगाकर अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ रही हैं। मशीनों की उपलब्धता के बावजूद उनका उपयोग सही तरीके से नहीं हो रहा है, जिससे प्रदूषण की समस्या और गंभीर होती जा रही है।
फसल प्रबंधन पर केंद्रित योजनाएं
CAQM ने अपने जवाब में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 2021-23 के बीच पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 48.6% और हरियाणा में 67% की कमी आई है। मार्च 2024 तक हरियाणा में 90,945 फसल प्रबंधन मशीनें उपलब्ध हैं, और पंजाब में 1,30,851 मशीनें किसानों के उपयोग के लिए तैयार हैं। इसके अलावा, किसानों को बायोमास आधारित फसल प्रबंधन तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना भी शुरू की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने CAQM को कड़ी चेतावनी देते हुए अपने आदेशों को सख्ती से लागू करने को कहा है और इस मामले में अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को निर्धारित की है।