जम्मू-कश्मीर के Pahalgam में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई Indus Water Treaty को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का फैसला लिया है। इस निर्णय के बाद अब भारत न तो Pakistan के साथ जल संबंधी कोई जानकारी साझा करेगा और न ही संधि के तहत किसी बैठक में भाग लेगा।
PM Narendra Modi की अध्यक्षता में बुधवार को नई दिल्ली में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इस बैठक में HM Amit Shah, EAM S. Jaishankar, Defence Minister Rajnath Singh और NSE Ajit Dhobal समेत शीर्ष अधिकारी शामिल थे। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा कि यह कदम तब तक लागू रहेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय रूप से समर्थन देना बंद नहीं करता।
Attari Border भी बंद किया गया
भारत सरकार ने Attari एकीकृत चेक पोस्ट को भी तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया है। हालांकि, जिन लोगों के पास वैध दस्तावेज हैं, वे 1 मई 2025 तक इस रूट से भारत छोड़ सकते हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान को दी जा रही सार्क वीजा छूट योजना (SVES) भी रद्द कर दी गई है और SVES के तहत जारी वीजा रद्द माने जाएंगे।
Diplomatic Relations में कटौती
भारत ने इस्लामाबाद स्थित उच्चायोग से अपने सेना, नौसेना तथा वायुसेना सलाहकारों को वापस बुला लिया है। इन पदों को अब समाप्त माना जाएगा। इसी तरह नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों को “अवांछित व्यक्ति” घोषित कर देश छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।
Pakistan की प्रतिक्रिया
भारत के इस कदम पर पाकिस्तान ने कड़ी आपत्ति जताई है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) नेता चौधरी फवाद हुसैन ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत भारत ऐसा नहीं कर सकता।” पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने गुरुवार सुबह राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई है ताकि भारत के फैसले का जवाब तय किया जा सके। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि यह संधि के प्रावधानों और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है। वहीं पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इसहाक़ डार ने कहा है कि ‘भारत की ओर से की गई घोषणाएं बचकाना और गंभीरता की कमी को दर्शाती हैं। इसके साथ ही उन्होने कहा कि भारत हर घटना के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराता है और अतीत की तरह, इस बार भी ब्लेम गेम पाकिस्तान की तरफ़ डालने की कोशिश की गई है
क्या है Indus Water Treaty?
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई Indus Water Treaty के तहत छह प्रमुख नदियों को बांटा गया था। इसमें पूर्वी नदियां रावी, ब्यास तथा सतलुज भारत को सौंपी गई थीं जबकि पश्चिमी नदियां सिंधु, झेलम और चिनाब पाकिस्तान के हिस्से में आई थीं। भारत को इन पश्चिमी नदियों का सीमित उपयोग जैसे कृषि और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए किया जा सकता था। इस संधि को अब तक दक्षिण एशिया में जल-सहयोग का एक सफल उदाहरण माना जाता रहा है, जिसे कई संघर्षों के बावजूद दोनों देशों ने बनाए रखा था।
क्या आगे होगा?
विशेषज्ञ मानते हैं कि Indus Water Treaty का स्थगन क्षेत्रीय तनाव को और गहरा सकता है और यह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। भारत का यह रुख दर्शाता है कि वह अब पानी जैसे संवेदनशील विषयों को भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर देखने को तैयार है। अब निगाहें पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक पर टिकी हैं, जहां भारत के इस कदम के खिलाफ जवाबी रणनीति पर चर्चा होगी। अब देखना होगा की चीज़े क्या मोड़ लेती है |
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