नई दिल्ली, 27 सितंबर 2024. विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर, केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने आज ‘बेस्ट टूरिज्म विलेजेस प्रतियोगिता 2024’ के विजेताओं की घोषणा की। इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत के गांवों में पर्यटन को बढ़ावा देना है, जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों को संरक्षित और संवर्धित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
परियोजना का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत यह प्रतियोगिता पहली बार 2023 में शुरू की गई थी। इसका मकसद उन गांवों की पहचान करना था, जो स्थानीय समुदायों के सहयोग से पर्यावरणीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए अपने सांस्कृतिक और प्राकृतिक संसाधनों का संवर्धन कर रहे हैं। इस पहल से ग्रामीण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, पर्यटन के केंद्र में आई है। यह प्रतियोगिता ग्रामीण इलाकों के पर्यटन विकास के साथसाथ स्थानीय समुदायों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।
2023 के पहले संस्करण में 795 गांवों ने भाग लिया था, जबकि 2024 के दूसरे संस्करण में 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 991 गांवों ने आवेदन किया। इन गांवों में से 36 को 8 श्रेणियों में विजेता चुना गया।
विजेता गांवों की सूची और श्रेणियां
विजेता गांवों को उनके विशेष योगदान और पर्यटन क्षेत्र के अनुसार निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
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एडवेंचर टूरिज्म (साहसिक पर्यटन):
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धुडमारास, छत्तीसगढ़
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अरु, जम्मूकश्मीर
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कुतलुर, कर्नाटक
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जखोल, उत्तराखंड
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एग्री टूरिज्म (कृषि पर्यटन):
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कुमारकोम, केरल
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करडे, महाराष्ट्र
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हंसाली, पंजाब
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सुपी, उत्तराखंड
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बारानगर, पश्चिम बंगाल
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कम्युनिटीबेस्ड टूरिज्म (सामुदायिक आधारित पर्यटन):
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चित्रकूट, छत्तीसगढ़
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मिनिकॉय द्वीप, लक्षद्वीप
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सियालसुक, मिजोरम
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अल्पना ग्राम, त्रिपुरा
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देओमाली, राजस्थान
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क्राफ्ट (हस्तशिल्प पर्यटन):
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सुआलकुची, असम
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प्रणपुर, मध्य प्रदेश
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उमडेन, मेघालय
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मणियाबंध, ओडिशा
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निर्मल, तेलंगाना
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हेरिटेज (धरोहर पर्यटन):
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हफेश्वर, गुजरात
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अंद्रो, मणिपुर
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मावफ्लांग, मेघालय
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कीलाडी, तमिलनाडु
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पुरा महादेव, उत्तर प्रदेश
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रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म (उत्तरदायी पर्यटन):
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दुधानी, दादरा और नगर हवेली एवं दमण और दीव
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कडालुंडी, केरल
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तार गांव, लद्दाख
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सबरवानी, मध्य प्रदेश
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लदपुरा खास, मध्य प्रदेश
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स्पिरिचुअल एंड वेलनेस (आध्यात्मिक और स्वास्थ्य पर्यटन):
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अहोबिलम, आंध्र प्रदेश
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बांडोरा, गोवा
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ऋषियापीठ, झारखंड
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मेलकलिंगम पट्टी, तमिलनाडु
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सोमसिला, तेलंगाना
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वाइब्रेंट विलेज (जीवंत गांव):
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हर्षिल, उत्तराखंड
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गुंजी, उत्तराखंड
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ग्रामीण पर्यटन: आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम
पर्यटन मंत्रालय की यह पहल न केवल ग्रामीण इलाकों की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर को उजागर कर रही है, बल्कि स्थानीय समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है। ग्रामीण पर्यटन के माध्यम से न केवल रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता के सिद्धांतों को भी अपनाया जा रहा है।
ग्रामीण पर्यटन का यह मॉडल “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जहां गांवों को पर्यटन के केंद्र में रखकर स्थानीय उत्पादों, हस्तशिल्प, और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर लाया जा रहा है। इसके अलावा, यह पहल पर्यटकों को भारतीय गांवों की जीवंत संस्कृति, परंपराएं और प्राकृतिक संसाधनों का अनुभव करने का अवसर प्रदान करती है, जो आधुनिक शहरों में देखने को नहीं मिलते।
पर्यटन और स्थिरता
इन गांवों के चयन में स्थिरता एक प्रमुख घटक रहा है। हर गांव को उसकी क्षमता के आधार पर चुना गया है कि वह न केवल पर्यटकों को आकर्षित कर सके, बल्कि अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को बनाए रख सके।
यह पहल आने वाले वर्षों में ग्रामीण इलाकों के पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। यह ग्रामीण समुदायों को उनकी संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों के साथ टिकाऊ विकास की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है, जिससे न केवल पर्यटकों का अनुभव समृद्ध होता है, बल्कि स्थानीय समुदायों का भविष्य भी उज्ज्वल होता है।