इफ्तार का अर्थ
“Iftar” अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है “उपवास तोड़ना।” यह केवल खाने-पीने की क्रिया तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह रमजान महीने के दौरान उत्सव, सामूहिकता और आत्मनिरीक्षण का एक पावन क्षण भी है। इफ्तार आमतौर पर मगरिब की नमाज़ के समय किया जाता है, जिससे मुसलमान धर्म को मानने वाले लोग अपने दिन भर के उपवास को समाप्त करते हैं। पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) की परंपरा का पालन करते हुए, Iftar की शुरुआत आम तौर पर खजूर खाने और पानी पीने से होती है, इसके बाद विभिन्न व्यंजन परोसे जाते हैं, जो संस्कृति और क्षेत्र के अनुसार अलग- अलग होते हैं।
Ramzan और Iftar का आध्यात्मिक महत्व
Ramzan इस्लाम धर्म का पवित्र महीना है, जिसमें मुसलमान सुबह सहरी से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं। यह केवल भोजन और पेय पदार्थों से परहेज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्म-अनुशासन, आत्म-नियंत्रण और आध्यात्मिक उन्नति का भी एक तरीका है। इफ्तार का मुख्य उद्देश्य दिन भर के उपवास को समाप्त कर अल्लाह का शुक्रिया अदा करना है, जिसने जीविका और जीवन की अनमोल सौगातें दी हैं।
- आभार और कृतज्ञता- इफ्तार का पल व्यक्ति को यह एहसास कराता है कि भोजन और पानी जैसी बुनियादी जरूरतें भी अल्लाह की दी हुई नेमतें हैं। उपवास के दौरान भूख और प्यास का अनुभव करना हमें उन वंचित लोगों की पीड़ा का अहसास कराता है, जो हर दिन इन चीजों से वंचित रहते हैं और जिनकी बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पाती है।
- सामूहिकता और एकता: इफ्तार आमतौर पर परिवार, मित्रों और समुदाय के साथ मिलकर किया जाता है, जिससे आपसी भाईचारा और प्रेम की भावना बढ़ती है। सामूहिक इफ्तार आयोजनों में हर धर्म और समुदाय के लोग शामिल होते हैं, जो धार्मिक सद्भाव और मेल-जोल को बढ़ावा देते हैं।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: Iftar की परंपरा
इफ्तार की परंपरा की शुरुआत पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) के जीवनकाल में हुई थी। इफ्तार की परंपरा 7वीं शताब्दी से चली आ रही एक परंपरा है, जिसमें उपवास तोड़ने का पहला कौर खजूर से लेने की हिदायत दी गई है। यह न केवल धार्मिक, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक दृष्टि से भी उचित माना जाता है क्योंकि खजूर तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है।
भारत में इफ्तार का तारीख़ी महत्व:
- Lucknow का हुसैनाबाद ट्रस्ट: लखनऊ में हुसैनाबाद एंड एलाइड ट्रस्ट विगत 183 वर्षों से इफ्तार का आयोजन कर रहा है, जो इसकी लंबी रवायत को दर्शाता है। इस आयोजन में हर वर्ग और धर्म के लोग भाग लेते हैं।
- Delhi में सभी धर्मों के बीच Iftar- दिल्ली में नाजिया इरम जैसी महिलाएं वंचित मुस्लिम छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति देने हेतु सभी धर्मों के बीच इफ्तार पार्टियों का आयोजन करती हैं, जहां सभी धर्मों के लोगों को आमंत्रित किया जाता है।
- भारतीय सेना की धर्मनिरपेक्ष परंपरा: भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर और डोडा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर इफ्तार का आयोजन करती है, जिससे सामुदायिक सौहार्द्र एवं शांति को बढ़ावा मिलता है।
भारत में Iftar के विविध व्यंजन और परंपराएं
भारत में इफ्तार के दौरान परोसे जाने वाले व्यंजन क्षेत्रीय संस्कृति एवं रवायतों के प्रतीक होते हैं। हर प्रदेश और शहर में इफ्तार के लिए खासतौर पर पकाए जाने वाले व्यंजन हैं, जो रमजान के माहौल को और भी खास बना देते हैं।
भारत में Iftar के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के व्यंजन
- Hyderabad- इफ्तार के दौरान हैदराबाद में हलीम सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। यह धीमी आंच पर पका हुआ मीट और दलिया का स्वादिष्ट मिश्रण होता है, जो कि पोषण से भरपूर होता है। हलीम को विशेष रूप से रमजान के दौरान बनाया जाता है और यह ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत है।
- Tamil Nadu एवं Kerala- दक्षिण भारत के तमिलनाडु और केरल में इफ्तार के लिए नोम्बू कांजी बनाई जाती है। यह मीट, सब्जियों एवं चावल से तैयार एक खास पकवान है, जिसे अक्सर स्नैक्स और अन्य हल्के व्यंजनों के साथ परोसा जाता है। यह व्यंजन न केवल स्वाद में बेहतरीन होता है, बल्कि इसे रोजे के बाद खाने से शरीर को तुरंत पोषण भी मिलता है।
- Indore- इंदौर में इफ्तार के दौरान इंदौरी बिरयानी का विशेष स्थान है। यह मसालेदार बिरयानी रमजान के दौरान कम कीमतों पर उपलब्ध होती है, जिससे रोजेदार इसका आनंद उठा सकें। इंदौरी बिरयानी अपने विशिष्ट स्वाद और सुगंध के कारण बेहद लोकप्रिय है। इंदौर में इफ्तार के दौरान शरमल नामक मीठी रोटी भी बहुत पसंद की जाती है। यह सूखे मेवों से भरी मीठी और नरम रोटी होती है, जो उपवास तोड़ने के बाद मिठास का अनुभव कराती है और रमजान के माहौल को और भी खास बना देती है।
- विविध क्षेत्र- भारत के विभिन्न हिस्सों में इफ्तार के दौरान समोसे, कबाब, पकौड़े एवं अन्य स्नैक्स भी आमतौर पर परोसे जाते हैं। ये व्यंजन प्रत्येक क्षेत्र में इफ्तार की थाली को खास बनाते हैं तथा उपवास के बाद हल्के और स्वादिष्ट पकवानों का आनंद प्रदान करते हैं।
Iftar में शामिल रवायती व्यंजन
- खजूर और पानी: पैगंबर मुहम्मद की परंपरा के अनुसार, इफ्तार की शुरुआत खजूर और पानी से की जाती है।
- हलीम: हैदराबाद की मशहूर हलीम, रमजान के महीने में खास तौर पर बनाई जाती है। यह प्रोटीन से भरपूर और पौष्टिक होती है।
- समोसे और कबाब: उत्तर भारत में इफ्तार में मसालेदार समोसे, कबाब और चटपटी चाट का आनंद लिया जाता है।
- शरबत और ठंडाई: गर्मी के मौसम में इफ्तार के दौरान शरबत और ठंडाई का सेवन शरीर को ठंडक और ऊर्जा देता है।
- बिरयानी और मीठे पकवान: इंदौर और अन्य जगहों पर इफ्तार की दावत में बिरयानी और शरमल जैसे मीठे व्यंजन खासतौर पर बनाए जाते हैं।
इफ्तार के सामाजिक एवं धार्मिक पहलू
- सामूहिक इफ्तार एवं भाईचारा: इफ्तार का आयोजन मस्जिदों, समुदाय केंद्रों तथा घरों में किया जाता है, जहां सभी धर्मों के लोग मिलकर उपवास तोड़ते हैं। इससे आपसी सौहार्द्र और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है।
- दीन-दुखियों का ख्याल: रमजान के दौरान इफ्तार पार्टियों में गरीबों और जरूरतमंदों को भी शामिल किया जाता है, जिससे उनके प्रति सहानुभूति और दानशीलता की भावना प्रबल होती है।
- इंटरफेथ इफ्तार का आयोजन: भारत जैसे विविधता से भरे देश में, इंटरफेथ इफ्तार का आयोजन विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ाता है।
Iftar का आधुनिक पक्ष
आधुनिक समय में इफ्तार केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह एक ऐसा माध्यम बन गया है, जिससे विभिन्न धर्मों, वर्गों और समुदायों के बीच संवाद और समन्वय बढ़ता है। इसी साल मार्च 2025 में ब्रिटेन की संसद में पहली बार इफ्तार का आयोजन हुआ। दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में आयोजित इंटरफेथ इफ्तार पार्टियां भारत की सांस्कृतिक विविधता एवं सहिष्णुता को प्रतिबिंबित करती हैं।
Iftar का संदेश
इफ्तार केवल उपवास तोड़ने का एक तरीका नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जो हमें आत्म-अनुशासन, आत्म-संयम और कृतज्ञता की भावना सिखाता है। यह समुदाय, परिवार और समाज के साथ मिलकर भाईचारे और एकता को मजबूत करता है। भारत जैसे बहुसांस्कृतिक देश में इफ्तार का आयोजन विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों को जोड़ने का एक माध्यम बन गया है, जिससे समाज में प्रेम और सद्भावना का संदेश फैलता है।
इफ्तार का असली महत्व केवल भोजन से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह अल्लाह के प्रति आभार, गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता और समाज में सौहार्द्र और समन्वय को बढ़ावा देने का एक पवित्र जरिया है।
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