Bihar में इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यह चुनाव राज्य के नागरिकों के लिए सिर्फ एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि पिछले दो दशकों में हुए सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक परिवर्तनों का मूल्यांकन भी है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि हम यह समझें कि Bihar ने पिछले 20 वर्षों में कौन-से रास्ते तय किए हैं, किस दिशा में बढ़ा है, और किस तरह के विकास के अनुभव इस अवधि में राज्य ने अर्जित किए हैं।
1990 से 2005: चुनौतियों और ठहराव का दौर
1990 से 2005 तक का समय Bihar के लिए कई दृष्टियों से संघर्षपूर्ण रहा। इस काल में राज्य राजनीतिक अस्थिरता, संस्थागत कमजोरी, और सामाजिक तनावों का सामना कर रहा था। प्रशासनिक तंत्र की क्षीणता और बढ़ते आपराधिक प्रभाव के चलते राज्य की छवि राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित हुई। सार्वजनिक योजनाओं के क्रियान्वयन में व्यापक समस्याएँ थीं, और विकास की गति धीमी रही। आर्थिक आंकड़े भी इसी वास्तविकता को दर्शाते हैं। इस अवधि में राज्य की प्रति व्यक्ति आय ₹9,149 के आसपास स्थिर रही और Bihar का राष्ट्रीय जीडीपी में योगदान 7.8% (1960-61) से घटकर लगभग 4.3% (2000-01) पर आ गया। इन वर्षों में शासन व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता अत्यंत स्पष्ट थी, और जनता के बीच राजनीतिक चेतना भी नए रूप में विकसित हो रही थी, जिसकी परिणति 2005 में सत्ता परिवर्तन के रूप में हुई।
हालांकि यह कहना भी उचित होगा कि इस दौरान कुछ केंद्रीय योजनाएं जैसे रेलवे का विस्तार (लालू यादव के कार्यकाल में) सुर्खियों में रही, लेकिन समग्र राज्य के स्तर पर उनका व्यापक और संतुलित असर नहीं हो सका। इसके पीछे राजनीतिक प्राथमिकताओं और प्रशासनिक अमले की क्षीणता का हाथ रहा।
2005 के बाद: विकास की ओर कदम
2005 के बाद Bihar में शासन में स्थायित्व आया और एक नए ढांचे के तहत योजनाबद्ध विकास की शुरुआत हुई। प्रशासनिक सुधार, कानून-व्यवस्था में सुधार, आधारभूत संरचना का विस्तार, और शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया गया। इस अवधि में आर्थिक सूचकांकों में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिले। वर्ष 2023-24 तक राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) ₹10.9 लाख करोड़ तक पहुँच गई, जो 2004-05 में ₹77,781 करोड़ थी। इसी तरह, प्रति व्यक्ति आय लगभग दस गुना बढ़कर ₹66,828 हो गई।
राजकोषीय अनुशासन में भी सुधार हुआ। जहां 2004-05 में राज्य का कर्ज जीडीपी का 62% था, वहीं यह 2024-25 तक घटकर लगभग 31.7% रहने का अनुमान है। राज्य के कुल बजट में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे सामाजिक योजनाओं और बुनियादी ढांचे पर निवेश संभव हो सका। पूंजीगत व्यय में 54 गुना वृद्धि के साथ Bihar ने आर्थिक विकास के लिए आवश्यक संरचना तैयार करने की दिशा में ठोस प्रयास किए। हालांकि कुछ क्षेत्रों में सुधार की गति धीमी रही। स्वास्थ्य सेवाएँ, विशेषकर ग्रामीण और प्राथमिक स्तर पर, अपेक्षा के अनुरूप सुदृढ़ नहीं हो सकीं। कई जिलों में विद्यालयों की आधारभूत सुविधाएँ अभी भी अपर्याप्त हैं।
बुनियादी ढांचे का विकास
Bihar ने सड़कों, बिजली, परिवहन और शहरी सेवाओं के क्षेत्र में ठोस प्रगति की। राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार, ग्रामीण सड़कों का निर्माण, तथा हवाई अड्डों की योजना से राज्य की कनेक्टिविटी में सुधार आया। विद्युत आपूर्ति में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया । 2004-05 में जहां प्रति व्यक्ति बिजली की उपलब्धता मात्र 78 यूनिट थी, वह 2023-24 तक बढ़कर 394 यूनिट हो गई। स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता भी पांच गुना से अधिक बढ़ी।
रोजगार, वित्तीय समावेशन और जन कल्याण
ग्रामीण रोजगार योजना (MGNREGA) के प्रभावी क्रियान्वयन के कारण श्रमिकों को स्थिर रोजगार मिला। महिला श्रमिकों की भागीदारी में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। ग्रामीण परियोजनाओं की संख्या और उनकी पूर्णता दर में निरंतर सुधार हुआ। इस दौरान वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य हुआ। जनधन योजना के तहत करोड़ों बैंक खाते खुले और हजारों करोड़ रुपये की राशि औपचारिक अर्थव्यवस्था में समाहित हुई। हालांकि कई बार निष्क्रिय बैंक खातों की संख्या अधिक होने की शिकायतें सामने आती रही हैं
कृषि, उद्यमिता और शिक्षा
Bihar ने कृषि उत्पादन और सिंचाई सुविधा के क्षेत्र में प्रगति की है। 2022-23 में Bihar सिंचित क्षेत्रफल और सकल बुवाई क्षेत्र के आधार पर देश में अग्रणी राज्यों में रहा। कृषि आधारित उद्योगों, जैसे मखाना उत्पादन, को भी प्रोत्साहन मिला है। युवा उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप नीति लागू की गई, जिसके फलस्वरूप राज्य में 3,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स सक्रिय हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में जनजातीय छात्रों की प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर पर उपस्थिति बढ़ी है। उच्च शिक्षा संस्थानों जैसे IIT पटना, NIFTEM और नालंदा विश्वविद्यालय को सशक्त बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
सांस्कृतिक धरोहर और पर्यटन
राज्य की ऐतिहासिक पहचान और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में भी कई पहलें हुई हैं। विष्णुपद मंदिर, महाबोधि मंदिर और राजगीर जैसे स्थलों के विकास की योजनाओं से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार और बौद्ध सर्किट के विकास से अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के द्वार खुल रहे हैं।
केंद्र सरकार द्वारा Bihar को कितना पैसा मिला
केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय के परिणामस्वरूप Bihar को अधिक वित्तीय सहायता मिली, जिससे अनेक परियोजनाओं को गति मिली। केंद्र से प्राप्त कुल अनुदान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2004-14 की तुलना में 2014-24 के बीच यह राशि लगभग 248% बढ़ी। हालांकि यह उल्लेख करना आवश्यक है कि राज्य की विकास यात्रा किसी एक सरकार के प्रयास का परिणाम नहीं, बल्कि प्रशासनिक संकल्प, जनभागीदारी और दीर्घकालीन नीति निर्धारण का सम्मिलित प्रभाव है।
आगे का रास्ता
Bihar की बीस वर्षों की यात्रा में कई उपलब्धियाँ हैं, परंतु यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि राज्य अब पूरी तरह विकासशील बन गया है। आंकड़ों में दिखने वाली प्रगति के साथ-साथ सामाजिक, प्रशासनिक और आर्थिक दृष्टि से कई चुनौतियाँ शेष हैं।
यह आवश्यक है कि भावी सरकार न केवल योजनाओं की घोषणाओं पर ध्यान दे, बल्कि उनके निष्पादन में पारदर्शिता, सहभागिता और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करे। इसकी असली परीक्षा आने वाले विधानसभा चुनाव में होगी।
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