दक्षिणी राज्यों की चढ़ती विकास यात्रा
1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद से दक्षिणी राज्यों ने देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी छलांग लगाई है। रिपोर्ट में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु के संयुक्त रूप से भारत की GDP में 2023-24 में 30% हिस्सेदारी होने की बात कही गई है। इस क्षेत्र का आर्थिक उत्थान उदारीकरण के बाद के सुधारों और उद्योगों की वृद्धि का परिणाम है।
तेलंगाना: प्रति व्यक्ति आय 2023-24 में राष्ट्रीय औसत का 193.6% रही, जिससे यह क्षेत्र देश में सबसे तेजी से विकसित होने वाले राज्यों में से एक बन गया।
कर्नाटक: 1991 के बाद आईटी और सेवा क्षेत्रों में प्रगति ने राज्य की आय में 181% की वृद्धि की है।
तमिलनाडु और केरल भी इस दौड़ में पीछे नहीं हैं, जहां उनकी प्रति व्यक्ति आय क्रमशः 171% और 152.5% रही। यह दक्षिणी राज्यों की आर्थिक नीतियों, बुनियादी ढांचे में सुधार और मानव संसाधन के विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पश्चिमी राज्यों का निरंतर प्रभुत्व
महाराष्ट्र और गुजरात ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी बढ़त बनाए रखी है। महाराष्ट्र ने पूरे अध्ययन अवधि के दौरान भारत की GDP में सबसे बड़ा योगदान दिया है।
महाराष्ट्र: राज्य ने 1960-61 से 2023-24 तक भारत की GDP में सबसे बड़ी हिस्सेदारी बनाए रखी। प्रति व्यक्ति आय 150% रही, जो राज्य के औद्योगिक विकास, मुंबई के वित्तीय हब होने और व्यापक सेवा क्षेत्र का प्रतिबिंब है।
गुजरात: 2000-01 के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि देखी गई। 2023-24 में गुजरात की प्रति व्यक्ति आय 160.7% रही, जो राज्य में औद्योगिक नीति, व्यापार में आसानी, और बुनियादी ढांचे के विकास के सफल कार्यान्वयन को दर्शाती है।
उत्तर भारतीय राज्यों की स्थिति
उत्तर भारत में हरियाणा और दिल्ली ने एक मजबूत आर्थिक प्रदर्शन दिखाया है, जबकि पंजाब की अर्थव्यवस्था में गिरावट दर्ज की गई है।
दिल्ली: देश की राजधानी होने के नाते, दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय 2023-24 में 250.8% रही, जो भारत में सबसे अधिक है। दिल्ली का यह प्रदर्शन सेवा क्षेत्र, सूचना प्रौद्योगिकी, और रियल एस्टेट क्षेत्र में उन्नति का परिणाम है।
हरियाणा: हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत का 176.8% है, जो इसे सबसे समृद्ध राज्यों में से एक बनाती है। गुरुग्राम के आईटी और बीपीओ उद्योग के विकास ने राज्य की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दिया है।
पंजाब: कृषि प्रधान राज्य होने के कारण, पंजाब की अर्थव्यवस्था की प्रगति सीमित रही है। 1991 के बाद जहां हरियाणा तेजी से आगे बढ़ा, वहीं पंजाब की प्रति व्यक्ति आय 106.7% तक सीमित रह गई है, जिससे एक सवाल खड़ा होता है कि क्या कृषि पर अत्यधिक निर्भरता ने राज्य की औद्योगिक प्रगति को अवरुद्ध किया है।
पूर्वी राज्यों की आर्थिक चुनौतियां
पूर्वी भारत के राज्यों ने अपने आर्थिक प्रदर्शन में कई चुनौतियों का सामना किया है:
पश्चिम बंगाल: एक समय में राष्ट्रीय GDP में 10.5% योगदान करने वाला यह राज्य अब केवल 5.6% पर सिमट गया है। औद्योगिक विकास में पिछड़ने के कारण इसकी प्रति व्यक्ति आय 83.7% पर आकर ठहर गई है।
बिहार: 1960-61 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय 70.3% थी, जो अब 2023-24 में घटकर 33% पर आ गई है। हालांकि, प्रवासी मजदूरों द्वारा भेजी गई धनराशि राज्य की घरेलू आय में योगदान करती है, फिर भी राज्य की वास्तविक आय में सुधार की आवश्यकता है।
ओडिशा: परंपरागत रूप से पिछड़ा रहने वाला यह राज्य पिछले दो दशकों में तेजी से उभरा है। 2023-24 में ओडिशा की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत का 88.5% तक पहुंच गई, जो राज्य के सफल खनन, इस्पात, और बिजली परियोजनाओं के विकास का प्रमाण है।
मध्य राज्यों की यात्रा
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ने पिछले कुछ वर्षों में विकास के संकेत दिखाए हैं।
उत्तर प्रदेश: 1960-61 में उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और भारत की GDP में इसका योगदान 14.4% था। हालांकि, 2023-24 में यह घटकर सिर्फ 8.4% रह गया है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय भी गिरकर 50.8% पर पहुंच गई है, जिसका मतलब है कि एक औसत उत्तर प्रदेश निवासी की आय भारत के औसत नागरिक की आय का केवल आधा है। हालांकि हाल के वर्षों में इसमें मामूली सुधार हुआ है, लेकिन राज्य को अन्य राज्यों की तुलना में तेज गति से आर्थिक विकास करने की आवश्यकता है।
मध्य प्रदेश: राज्य ने 2010 के बाद अपनी आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार किया है, और अब प्रति व्यक्ति आय 77.4% तक पहुंच गई है। राज्य की बुनियादी ढांचे में सुधार और निवेश को बढ़ावा देने के प्रयासों ने इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
उत्तर-पूर्वी राज्यों का विकास
सिक्किम और गोवा ने छोटे राज्यों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
सिक्किम: 2023-24 में इसकी प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत का 320% तक पहुंच गई है, जिससे यह देश के सबसे समृद्ध राज्यों में शामिल हो गया है।
गोवा: राज्य की प्रति व्यक्ति आय 290% तक पहुंच गई है, जो इसके पर्यटन और सेवा क्षेत्र के मजबूत योगदान को दर्शाती है।
निष्कर्ष:
रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से प्रगति की है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने अपनी आर्थिक नीतियों, निवेश अनुकूल माहौल, और विकासशील बुनियादी ढांचे के कारण उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। इसके विपरीत, पूर्वी और कुछ उत्तरी राज्यों को अभी भी तेज विकास के लिए नीतिगत सुधार और आर्थिक गतिविधियों में विविधता की आवश्यकता है। इस अध्ययन से यह भी स्पष्ट होता है कि तटीय राज्यों ने आंतरिक राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है, जिससे आर्थिक नीति निर्धारकों को नए दृष्टिकोणों पर विचार करने की आवश्यकता है।