Mahoba Sun Temple: क्या आप जानते हैं कि ओडिशा के कोणार्क के अलावा भी देश में एक और भव्य सूर्य मंदिर है, जो उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित महोबा की ऐतिहासिक भूमि पर बना है? कहा जाता है कि यह स्थान वही है जहां वीर आल्हा-ऊदल का साम्राज्य हुआ करता था, और इस वीरभूमि पर ही लगभग 1100 साल पहले सूर्य देव का यह अद्भुत मंदिर स्थापित हुआ था। यह मंदिर ओडिशा के सूर्य मंदिर से भी अधिक पुराना है।
इतिहास और स्थापत्य

Mahoba Sun Temple, जिसे राहिलिया सूर्य मंदिर कहा जाता है, 9वीं सदी में चंदेल वंश के राजा राहिल देव वर्मन ने बनवाया था। यह मंदिर नगर शैली में बिना सीमेंट और लोहे के बनाया गया ग्रेनाइट पत्थरों का अद्भुत उदाहरण है । इसकी संरचना और कलात्मकता इतनी बेजोड़ है कि इतिहासकार इसे ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर से भी अधिक प्राचीन और विशेष मानते हैं ।
मंदिर के समीप सूरज कुंड स्थित है, जिसका पानी कभी नहीं सूखता। स्थानीय श्रद्धालु इसे पवित्र मानते हैं और स्नान-अर्चना के लिए यहां आते हैं। मंदिर परिसर में देवी काली का प्राचीन मंदिर भी है जो इसके धार्मिक महत्व को और बढ़ाता है ।
विध्वंस और संरक्षण

इतिहास में बताया गया है कि 12वीं सदी में इस मंदिर को कुतुबुद्दीन ऐबक ने लूटने और गिराने की कोशिश की थी, मगर इसके कई हिस्से आज भी मजबूती से खड़े हैं । 2022 में उत्तर प्रदेश सरकार और पुरातत्व विभाग ने इस धरोहर को फिर से संरक्षित करने और पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की पहल की थी। एएसआई के माध्यम से सूर्य मंदिर को विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए यूनेस्को को प्रस्ताव भी भेजा गया ।
यहां कैसे पहुंचे

महोबा उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित है। यह शहर रेल, सड़क और वायु मार्ग से आसानी से जुड़ा हुआ है।
- रेल मार्ग से: महोबा जंक्शन उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों—लखनऊ, कानपुर, झांसी, छतरपुर और प्रयागराज—से सीधा जुड़ा है। स्टेशन से सूर्य मंदिर लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।
- सड़क मार्ग से: लखनऊ, झांसी, कानपुर और गोरखपुर जैसे शहरों से सीधी बस सेवा उपलब्ध है ।
- हवाई मार्ग से: निकटतम एयरपोर्ट खजुराहो (54 किमी) तथा कानपुर एयरपोर्ट हैं, जहां से टैक्सी या बस द्वारा महोबा पहुंचा जा सकता है ।
पर्यटन और वर्तमान स्थिति
महोबा के सूर्य मंदिर की सुंदरता और ऐतिहासिकता देखने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। हालांकि कोणार्क जितनी प्रसिद्धि अभी इसे नहीं मिली है, लेकिन इसकी स्थापत्य कला और प्राचीनता इसे भारतीय विरासत का अमूल्य रत्न बनाती है
बुंदेलखंड के इस गर्व, आल्हा-ऊदल की भूमि पर स्थित महोबा सूर्य मंदिर, आज भी सूर्य देव की आस्था, चंदेल कालीन कला और भारतीय स्थापत्य की गाथा को जीवंत रखे हुए है।
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