दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन के 60 वर्ष

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन एवं एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन एवं एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के संयुक्त तत्वावधान में एकात्म मानव दर्शन के 60 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (31 मई – 1 जून 2025) का आयोजन नई दिल्ली के NDMC कन्वेन्शन सेंटर में किया गया।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिला। पूर्व निर्धारित कार्यक्रमानुसार उद्घाटन संबोधन माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी द्वारा होना था, किंतु वे अंतिम क्षणों में अपरिहार्य कारणों से कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो सके। ऐसे में संघ के सह सरकार्यवाह श्री अरुण कुमार जी ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया और उपस्थित जनसमूह को प्रेरणादायी उद्बोधन प्रदान किया।

श्री अरुण कुमार जी ने अपने स्वाभाविक विनोदी अंदाज़ में कहा, “मैंने आज वे सारे काम कर लिए जो जीवन में पहले कभी नहीं किए — प्रदर्शनी का उद्घाटन, वेबसाइट का लोकार्पण, बिना पढ़े किताब का विमोचन — लेकिन यह सब इसलिए किया क्योंकि यह मंच विचार का है, दायित्व का है।”

उन्होंने अपने भाषण में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानववाद को भारत की वैचारिक स्वतंत्रता का मूल स्तंभ बताते हुए कहा कि यह दर्शन केवल राजनीति नहीं, बल्कि समाज, संस्कृति और व्यक्ति के संपूर्ण विकास का सूत्र है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि भारत की स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी — ‘स्व’ की पुनरस्थापना। यह संगोष्ठी उसी वैचारिक आत्मस्मरण की एक कड़ी है।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एकात्म मानव दर्शन पर भव्य प्रदर्शनी  

संगोष्ठी के अवसर पर एक विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन, दर्शन और एकात्म मानववाद के ऐतिहासिक विकास को प्रदर्शित किया गया। यह प्रदर्शनी भौतिक और डिजिटल दोनों रूपों में सुलभ थी।
डिजिटल माध्यम से उपस्थितजनों को विचारधारा से जुड़ी सामग्री, भाषणों, मूल ग्रंथों और दुर्लभ छायाचित्रों तक सहज पहुँच प्रदान की गई।

प्रदर्शनी को उद्घाटन सत्र से पूर्व श्री अरुण कुमार जी द्वारा औपचारिक रूप से उद्घाटित किया गया। इस पहल को प्रतिभागियों ने अत्यंत ज्ञानवर्धक और प्रेरक बताया।

प्रमुख वक्ता कौन रहे 

संगोष्ठी में देशभर से प्रबुद्धजनों, नीति-निर्माताओं, विद्वानों और स्वयंसेवकों ने भाग लिया। वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव, श्री जे.पी. नड्डा, श्री एस. गुरुमूर्ति, श्री के. अन्नामलाई, श्री शिवराज सिंह चौहान, श्री शंकरानंद, श्री गुरु प्रकाश पासवान, एवं अन्य गणमान्य वक्ताओं ने विविध सत्रों में विचार रखे।

संगोष्ठी में कार्य-संपदा-कल्याण, सतत विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा, कृषि व ग्रामीण विकास, शिक्षा-संस्कृति, महिला व युवा सशक्तिकरण जैसे विषयों पर आधारित कुल 14 सत्र आयोजित हुए। समापन सत्र में श्री जे.पी. नड्डा जी ने कहा कि “यह विचार संगोष्ठी नहीं, बल्कि भारत के भविष्य की वैचारिक दिशा का पुनर्निर्धारण है।”

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